तरावीह नमाज़ का ऐतिहासिक बैकग्राउंड | taraweeh namaz: meaning, history, virtues, and complete guide for ramadan

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तरावीह की नमाज़ – रमज़ान की रातों में रहमतों और रूहानियत से भरी इबादत




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रमज़ान का महीना आने पर दुनिया के हर कोने के मुसलमान अपने दिलो दिमाग़ में इबादत, तौबा और रूहानियत से भर जाते । तरावीह की नमाज़ उनके दिलो दिमाग में उस वक्त जी उठती है, जब वो नबी करीम ﷺ की रात की इबादात के सुन्नत को अंजाम दे कर अल्लाह की ज़िक्र से जगह-जगह जगमग कर देते हैं।

यह लेख at-Tasrih fi Salat-it-Tarawih की किताब पर आधारित है। तरावीह की नमाज़ की हकीकत, फज़ीलत, तरीका और इतिहास को विस्तार से समझाता है।



🕌 तरावीह क्या है? what is taraweeh ?


तरावीह  (تراويح) जो रमज़ान के महीने में ईशा की फ़र्ज़ नमाज़ के बाद पढ़ी जाने वाली एक रात की इबादत होती है। तरावीह शब्द अरबी के "राहा"से निकला है, जिसका मतलब है आराम या विश्राम।  ( rest and relaxation,)  सहाबा किराम हर चार रकात के बाद थोड़ा थोड़ा आराम करते थे, उसी से इसे तरावीह कहा गया। 


Taraweeh/तरावीह इबादत: 

तरावीह इबादत लंबे सजदे और क़ियाम की होती है इसके अलावा यह कुरआन के पाक तिलावत से जिसने इंसान के दिल को सुकूनदेती है और अल्लाह से गहराई से जुड़ने का ज़रिया आती है।


Taraweeh| तरावीह की नमाज़ की कुछ खास बातें  हैं 


यह जहन  को सुकून और जिस्म को मजबूती देती है 

यह नमाज़ पढ़ने वाले को अल्लाह के साथ गहरा रिश्ता बनाने में मदद करती है

📜 तरावीह का ऐतिहासिक बैकग्राउंड | Historical Facts About Taraweeh Namaz



🔹 रसूलुल्लाह ﷺ के दौर में

नबी करीम ﷺ ने रमज़ान की कुछ रातों में सहाबा को लेकर तरावीह की जमाअत कराई, लेकिन बाद में फर्ज़ हो जाने के डर से इसे जारी नहीं रखा।

हदीस:

“मैंने तुम लोगों पर फर्ज़ हो जाने के डर से जमाअत नहीं कराई।”
— (सहीह बुखारी)

इससे साबित होता है कि तरावीह सुन्नत मुअक्कदा है, न कि फर्ज़, लेकिन इसका दर्जा बहुत ऊँचा है।


खलीफा उमर के समय की एक महत्वपूर्ण घटना को याद किया जाता है (पृष्ठ 17): जब लोग अलग-अलग समूहों में प्रार्थना करने लगे, तो उमर ने उन्हें एक इमाम के नेतृत्व में एकजुट किया और कहा, "यह सबसे अच्छा नवाचार है!" इस कदम ने न केवल सामुदायिक आवश्यकताओं को पूरा किया, बल्कि सुन्नत को भी संरक्षित किया।


तरावीह चाहे आप 8 या 20 रकात नमाज़ पढ़ें, हर सजदा आपको अल्लाह की रहम  की याद दिलाता है और हर आयत आपके विश्वास को मजबूत करती है। जैसे-जैसे रमज़ान की रातें गुजरती हैं, तरावीह आपकी रूह और अल्लाह के बीच एक पुल का काम करती है।


 About Taraweeh Namaz


🔹हज़रत उमर (रज़ि.)के दौर में 

हज़रत उमर फ़ारूक़ (रज़ि.)  सुन्नीओ  अनुसार, हज़रत उमर फ़ारूक़ ने सहाबा को एक इमाम, और प्यारे सहाबा हज़रत उबै बिन काब| के पिछे एक साथ तरावीह की नमाज़ पढ़ने का हुक्म दिया।

तब से लेकर आज तक मस्जिदों में 20 रकात तरावीह पढ़ने का अमल जारी है।



Taraweeh | तरावीह में कितनी रकात होती है?


✅ आम तौर पर (हनाफ़ी, शाफ़ई, मालिकी मसलक):

  • 20 रकात, दो-दो रकात के सेट में
  • बाद में वित्र (Witr) की नमाज़ पढ़ी जाती है

कुछ लोग 8 रकात की बात करते हैं, जो दरअसल नबी ﷺ की तहज्जुद थी। तरावीह के 20 रकात का अमल सहाबा से साबित है और यही उम्मत का रिवाज रहा है।



🌟 तरावीह की फज़ीलतें और इनाम

1. गुनाहों की माफी

“जो शख्स रमज़ान में ईमान और सवाब की नियत से रात में क़ियाम करे, उसके पिछले सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।”
(सहीह बुखारी)

2. सुन्नत को ज़िंदा करना

रसूल ﷺ और खलीफा रशिदीन की सुन्नत को अपनाना बहुत बड़ा नेकी का काम है।

3. कुरआन की मुकम्मल तिलावत

अक्सर मस्जिदों में तरावीह में पूरा कुरआन खतम किया जाता है, जिससे लोग अल्लाह के कलाम से जुड़ते हैं।

4. दिल की सफाई और रूह की तरबियत

तरावीह सब्र, अल्लाह से लगाव और नम्रता सिखाती है।



💭 आम गलतफहमियाँ


गलतफहमीसच्चाई
तरावीह फर्ज़ है❌ नहीं, यह सुन्नत मुअक्कदा है
सिर्फ 8 रकात सही है❌ नहीं, 20 रकात सहाबा का अमल है
औरतें तरावीह नहीं पढ़ सकतीं❌ औरतें घर में या मस्जिद में तरावीह पढ़ सकती हैं
तरावीह जल्दी-जल्दी खत्म होनी चाहिए❌ इसमें इत्मिनान और तिलावत की खूबसूरती होनी चाहिए



📖 कुरआन और हदीस से दलीलें

🔹 कुरआन से:

“और वे रात को अपने रब के सामने सजदा करते हैं और खड़े रहते हैं।”
(सूरह अल-फ़ुरक़ान: 64)

🔹 हदीस से:

“मेरी सुन्नत और खलीफा रशिदीन की सुन्नत को मज़बूती से पकड़ो।”
(तिर्मिज़ी)

“फर्ज़ नमाज़ों के बाद सबसे अफज़ल नमाज़ रात की है।”
(मुस्लिम)



🤲 तरावीह के मानसिक और शारीरिक फायदे


  • मानसिक सुकून: रोज़ाना की थकान दूर करता है
  • शारीरिक एक्सरसाइज़: 20 रकात से शरीर को हरकत मिलती है
  • इख़लाक़ और सब्र की तरबियत
  • एकता और भाईचारे को बढ़ावा


❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)


🔸 Q1: क्या मैं घर पर तरावीह पढ़ सकता हूँ?

✅ हां, आप घर पर भी तरावीह पढ़ सकते हैं, ख़ासकर जब मस्जिद जाना मुमकिन न हो।

🔸 Q2: क्या औरतें तरावीह पढ़ सकती हैं?

✅ बिलकुल। औरतें घर में या सही इंतज़ाम वाली मस्जिदों में तरावीह पढ़ सकती हैं।

🔸 Q3: क्या हर हाल में पूरे कुरआन की तिलावत ज़रूरी है?

❌ जरूरी नहीं। अगर मुमकिन हो तो अच्छा है, वर्ना जितना आसान हो, उतना पढ़ा जाए।

🔸 Q4: क्या मैं ऑनलाइन या टीवी से तरावीह की इमामत फॉलो कर सकता हूँ?

❌ नहीं। इमाम के पीछे नमाज़ के लिए शरीयत में जिस्मानी मौजूदगी ज़रूरी है।


✨ रमज़ान में तरावीह का रूहानी पैग़ाम

तरावीह सिर्फ रकातों की गिनती नहीं, बल्कि रूह की रोशनी है। ये एक ऐसा मौका है जब इंसान अपने गुनाहों की माफी मांग सकता है, कुरआन से जुड़ सकता है और अल्लाह से तअल्लुक़ मज़बूत कर सकता है।



📝 आख़िरी अल्फ़ाज़

तरावीह की नमाज़ हमारे लिए एक नेमत है। चाहे आप 2 रकात पढ़ें, 8 या 20 — इख़लास से पढ़िए, दिल से पढ़िए। यह रमज़ान की रातों को जन्नत का रास्ता बना सकती है।


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