Lord Shiva Maha Shivratri 2025 | शिव सूत्र | Must-Know Shiv Sutra for Ultimate Awareness & Spiritual Growth | Maha Shivratri | Shiv Sutr |

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महाशिवरात्रि 2025 के एक स्वर्णिम अवसर पर हम भगवान शिव के गूढ़ रहस्यों और दिव्य शिक्षाओं को समझते हैं। शिव केवल एक देवता नहीं हैं, बल्कि एक स्वतंत्र सर्वोच्च स्तर के प्रतीक हैं। उनकी शिक्षाएँ हमें आत्मबोध, सत्य और मोक्ष की ओर ले जाती हैं। इस महाशिवरात्रि पर, हम महत्वपूर्ण शिव सूत्र को समझेंगे जो हमें गहन आत्म-चिंतन और जीवन की वास्तविक सच्चाई की समझ की ओर ले जाता है।


शिव-सूत्र


  • 1) चैतन्यमात्मा।
  • 2) ज्ञानं बंधः।
  • 3) योनिवर्गः कलाशरीरम्‌।
  • 4) उद्यमो भैरवः।
  • 5) शक्तिचक्रसंधाने विश्वसंहारः।


  • चैतन्य आत्मा है।
  • ज्ञान बंध है।
  • योनिवर्ग और कला शरीर है।
  • उद्यम ही भैरव है।
  • शक्तिचक्र के संधान से विश्व का संहार हो जाता है।



👉पहला शिव सूत्र सूत्र है: ‘चैतन्यमात्मा।


चैतन्य आत्मा' (चैतन्य ही आत्मा है)

शिव की शिक्षाओं में से एक महत्वपूर्ण सूत्र कहता है: "चैतन्य आत्मा" - चैतन्य ही आत्मा है।

इसके द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि चेतना ही सच्ची आत्मा है। हम सब चेतन हैं फिर भी आत्मा को नहीं जानते, क्यों? यदि चेतना आत्मा है, तो इसे हमें पूर्ण सहजता से जानना होगा; हालाँकि, हम अपने मन और इंद्रियों में इतने उलझे हुए हैं कि हम इस चेतना को समझ नहीं पाते।


शिव सूत्र हमें सिखाता है कि इस दुनिया में जो एकमात्र चीज़ हमारी है, वह चेतना है। बाकी सब कुछ जो हमें प्रिय है- दोस्त, परिवार, धन, प्रसिद्धि, पद, सम्मान- सब एक भ्रम है। मृत्यु वह कसौटी है जो हमें सिखाती है कि वास्तव में कौन हमारा है और कौन नहीं।


मृत्यु हमसे जो कुछ भी छीन सकती है, वह बाहरी है।

मृत्यु हमें जिस चीज़ से अलग नहीं कर सकती, वह आंतरिक है।

इसलिए आत्मा स्वयं की आत्मा है। लेकिन जैसे ही आप अपने बारे में सोचते हैं, कोई और इकाई उसमें प्रवेश कर जाती है।


सिर्फ़ "मैं" ही मेरा है।

जैसे ही हम किसी का या किसी चीज़ का कहते हैं, हमारा मन तुरंत दूसरे लोगों या चीज़ों या भावनाओं की ओर खिंच जाता है। हमें ऐसा लगता है कि कोई या चीज़ हमारी है। लेकिन वास्तविकता यह है कि हमारे अलावा कोई भी हमारा नहीं है।


➡ यह सभी सूत्रों में सबसे क्रांतिकारी है: "केवल मैं ही मेरा हूँ।" मेरे अलावा मेरा कोई नहीं है।

Soul is the experience of the intensity of consciousness ( आत्मा चेतना की तीव्रता का अनुभव है )

यह सूत्र स्वयं को जानने की ओर इशारा करता है खुद को जानो - असली "खुद" कौन है? इस्लाम में खुदा शब्द भी "खुद" शब्द से आया है

The word Khuda in Islam also comes from the word "Khud" 

जब तक यह समझ में नहीं आता, तब तक जीवन एक स्वप्न ही रहेगा; मनुष्य सांसारिक मोह-माया के जाल में उलझा रहेगा, जबकि मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य उससे दूर रहेगा। यह सूत्र हमें आत्मचिंतन और आत्मसाक्षात्कार की ओर ले जाता है।


👉दूसरा सूत्र है: ‘ज्ञानं बंधः। ज्ञान बंध है।’

शिव कहते हैं: 'ज्ञान बंधन है।' सीखा हुआ ज्ञान, उधार लिया हुआ ज्ञान, दूसरों से लिया हुआ ज्ञान बंधन का कारण है। तुम वह सब छोड़ दो जो तुम्हें दूसरों से मिला है। तुम उसकी खोज करो जो तुम्हें किसी से नहीं मिला है। तुम्हारे भीतर एक चेतना का झरना छिपा है, जो तुम्हें किसी से नहीं मिला है। जो तुम्हारा स्वभाव है, जो तुम्हारी अपनी संपदा है, जो तुम्हारा निजत्व है वही तुम्हारी आत्मा है।


👉 तीसरा सूत्र है: ‘योनिवर्ग और कला शरीर है।’

योनि का मतलब है प्रकृति। इसलिए भारत में स्त्री को प्रकृति कहते हैं। 

शिव का कहना है: 'योनिवर्ग और कला शरीर हैं।'

प्रकृति केवल योनि है। वह सिर्फ गर्भ है। तुम्हारा अहंकार उस योनि में बीज बनता है। तुम्हारे कर्तृत्व का भाव--कि मैं यह करूंगा, मैं यह पाऊंगा, मैं यह बन जाऊंगा उसमें बीज बनता है। और जब तुम्हारे कर्तृत्व की कला और प्रकृति की योनि मिलते हैं शरीर का निर्माण होता है।


👉 चौथा सूत्र उद्यमो भैरवः। उद्यम ही भैरव है।

भैरव एक तकनीकी शब्द है। 'भ' का मतलब होता है: भरण, 'र' का मतलब होता है: रवण, 'व' का मतलब होता है: वमन। भरण का मतलब होता है: धारण करना , रवण का मतलब होता है: संहार करना, और वमन का मतलब होता है: फैलाना । भैरव का मतलब होता है: ब्रह्म जो धारण किए है, जो सँभालता है, जिसमें हम जन्म लेंगे, और जिसमें हम खत्म होंगे; जो फैलाव है और जो ही सिकुड़न बनेगा; जो दुनिया की शुरुआत है, और जिसमें विनाश होगा। मूल अस्तित्व को भैरव कहा जाता है।

शिव कहते हैं: उद्यम (प्रयास)ही भैरव है।

प्रगाढ़ और गहन श्रम।

उद्यम का मतलब  है कि आप जो भी काम करें, उसमें आपका पूरा प्रयास शामिल होना चाहिए।

उदाहरण के तौर पर,अगर आप क्रिकेट खेल रहे हैं या गाना गा रहे हैं, तो उसमें अपना पूरा प्राण लगा दें, तभी हमारा काम उद्यम बनेगा यानि भैरव हो जायेगा।


👉 पांचवां सूत्र शक्तिचक्र के संधान से विश्व का संहार हो जाता है।

शिव का यह सूत्र कहता है: अगर आप सही प्रयास करते हैं अगर आप अपनी सारी  ऊर्जा को इकट्ठा  (संलग्न ) करके  सत्य को खोजने ईश्वर को खोजने या आत्मा को खोजने के प्रयास में लगाते हैं तो आपके भीतर ऊर्जा का चक्र पूरा हो जाता है।


वैज्ञानिकों का कहना है कि सबसे बुद्धिमान व्यक्ति भी अपनी प्रतिभा का 15% से अधिक उपयोग नहीं करता है; उसकी 85% प्रतिभा यूं ही बर्बाद हो जाती है। यह एक बुद्धिमान व्यक्ति के बारे में है; एक मूर्ख के बारे में क्या! वह शायद इसका बिल्कुल भी उपयोग नहीं करता। हम अपने शरीर की पूरी ऊर्जा का भी उपयोग पाँच प्रतिशत ही करते  हैं ।


हम  हमारे  कार्य  में  अखंड शक्ति  नहीं जोड़ पाते हम  कोई  भी कार्य  ऐसा करते हैं  जैसे  गाड़ी में पेट्रोल कभी आता कभी नहीं आता कभी कचरा आता तो हमरि गाड़ी  ऐसे चलती है जैसे हिचकी खा रही हो । जरा-जरा सी शक्ति के खंड-खंड आते हैं; अखंड शक्ति नहीं हो पाती।


जिस चीज में भी तुम अपनी पूरी शक्ति लगा दोगे वह कोई भी हो चीज अगर तुम  गीत गाते हो और गीत गाने में  हो तुमने अपनी पूरी शक्ति  में लगा दिया पूरी कि रत्ती भर बाकी न बची तो तुम वहीं से मुक्त हो जाओगे; क्योंकि वही उद्यम पूर्ण होते ही भैरव हो जाता है।


याद रखिए, अगर आप खुद को पूरी तरह से यहां डुबो देंगे, तभी कुछ हासिल हो सकता है। अगर आप खुद को थोड़ा भी बचाएंगे, तो आपका प्रयास व्यर्थ है। जब तक प्रयास एक उद्यम नहीं बन जाता - एक संपूर्ण, समग्र प्रयास नहीं बनता तब तक भैरव को प्राप्त नहीं किया जा सकता।


यह सूत्र शिव सूत्र 01 से लिया गया है, जो परम चेतना और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग प्रकट करता है।

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FAQs on Lord Shiva and Maha Shivratri 2025 – Understanding Shiva Sutras


भगवान शिव और महाशिवरात्रि 2025 – शिव सूत्र से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ (FAQ)

1. महाशिवरात्रि 2025 का महत्व क्या है?

महाशिवरात्रि 2025 भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र पर्व है, जो शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है। यह आत्मचिंतन, आध्यात्मिक जागृति और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्तम समय है।

2. शिव सूत्र क्या हैं?

शिव सूत्र प्राचीन संस्कृत सूत्र हैं, जो चेतना, आत्मबोध और अस्तित्व के वास्तविक स्वरूप को समझाने वाले गूढ़ रहस्य प्रकट करते हैं। ये हमें भौतिक मोह-माया से ऊपर उठकर मोक्ष की ओर ले जाते हैं।

3. कुल कितने शिव सूत्र हैं?

शिव सूत्रों की कुल संख्या 77 है, जिन्हें तीन भागों में विभाजित किया गया है। ये आत्मज्ञान, ध्यान और ऊर्जा (शक्ति) के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करते हैं।


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