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अवध ओझा: जमीन से आसमान तक की यात्रा

"नमस्कार दोस्तों,

आज हम एक ऐसी प्रेरणा के बारे में बात करेंगे जिनकी जीवन यात्रा संघर्ष, समर्पण और सफलता से भरी है। हम बात कर रहे हैं अवध ओझा सर के जमीन से आसमान तक के सफर की, अवध ओझा सर जिनका नाम आज हर भारतीय के दिल में एक मिसाल के तौर पर दर्ज है।

 

गांव की मिट्टी से जन्मा सपना

अवध प्रताप ओझा का जन्म 3 जुलाई 1984 को उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में हुआ था।

उनके पिता श्री प्रसाद ओझा एक पोस्टमैन के रूप में काम करते थे, जबकि उनकी मां एक सफल वकील थीं।

गोंडा के खूबसूरत और सरल माहौल में पले-बढ़े ओझा का सपना (IAS) अधिकारी बनने का था।

उनके पिता ने अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपनी 10 एकड़ जमीन में से 5 एकड़ जमीन बेच दी।

माता-पिता की मेहनत और सपने ने अवध ओझा को दिल्ली पहुंचा दिया, जहां उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की।


संघर्ष काल: टूटे सपने और आत्मविश्लेषण

उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की लेकिन वे इसमें असफल रहे

सात महीने तक कड़ी मेहनत करने के बावजूद वे मेंस परीक्षा में सफल नहीं हो सके।

यह उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था, जहाँ उन्हें नए रास्ते तलाशने पड़े।

फिर उन्होंने कोचिंग का रास्ता अपनाया

इलाहाबाद में एक मित्र के सुझाव पर उन्होंने कोचिंग सेंटर जॉइन किया।

पहले दिन उनके पढ़ाने के तरीके से सभी छात्र नाराज होकर चले गए।

उन्होंने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे अपने शिक्षण शैली में सुधार किया।

और अपनी पहचान मशहूर शिक्षक के रूप में बनाई

 

अलग अंदाज और मेहनत ने उन्हें छात्रों का प्रिय बना दिया।

दिल्ली के प्रतिष्ठित IAS कोचिंग संस्थानों में पढ़ाने के बाद उन्होंने खुद की अकादमी IQRA IAS की स्थापना की।

कोविड-19 के समय उन्होंने यूट्यूब का सहारा लिया और लाखों छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाना शुरू किया।


गमछा: जमीन से जुड़े रहने का प्रतीक

ओझा सर कहते हैं, "गमछा जमीन का सिंबल है। मैं इसे इसलिए पहनता हूँ, ताकि मुझे अपनी शुरुआत याद रहे।"

यह उनकी जड़ों और सादगी से जुड़े रहने का प्रतीक बन गया।

उनका व्यक्तिगत जीवन और राजनीतिक सफर कुछ इस तरह का है कि,

21 साल की उम्र में 1 मई 2007 को उन्होंने मंजरी ओझा से विवाह किया।

उनके तीन बेटियाँ हैं – पिलु, बुलबुल, और गुनगुन।


राजनीतिक सफर 

अभी उन्होंने  अपना राजनीतिक सफर शुरू किया है.

2 दिसंबर 2024 में, ओझा सर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए।

पार्टी में शामिल होने के बाद अवध ओझा ने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन दोनों लोगों ने मुझे राजनीति में आकर शिक्षा में काम करने का अवसर दिया है। अवध ओझा ने कहा कि , दिल्ली में 12वीं का 97% रिजल्ट है,

और मेरा हमेशा से मानना ​​रहा है कि शिक्षा शेर के दूध की तरह है, जो इसे पीएगा वो  शेर की तरह दहाड़ेगा

और डॉ. राधाकृष्णन सर्वपल्ली कहते हैं कि, देश के अच्छे  दीमागो  को आगे बढ़ना चाहिये एक शिक्षा  और एक राजनीती

 

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